यह गीत हर मीटिंग के प्रारंभ में गाया जाना चाहिए...
ये दिगम्बर जैन महासमिति
की अभिव्यक्ति है
यही हैं संदेश हमारे
यही लक्ष्य और दृष्टि है
यही लक्ष्य और दृष्टि है
जय बोलो, जय बोलो,
जय जय जय जय बोलो
जो महावीर की राह चलें
उस सहधर्मी की जय
बोलो सहधर्मी की जय
सत्य अहिंसा अपरिग्रह
और अनेकांत- अचौर्य की
सब पंथों की सब संतों की
सब संघों की जय
बोलो सब संघों की जय
तीर्थकरों की धर्मदेशना
जन-जन तक पहुंचानी है
जिन दर्शन की दिव्यज्योति
भूमंडल पर फैलानी है
भूमंडल पर फैलानी है
सारे जैन समाजों को अब
एक मंच पर लाना है
सब तीर्थों का संरक्षण
संवर्धन मिलकर करना है
संवर्धन मिलकर करना है
मानवता को हिंसा की
आंधी से हमें बचाना है
जियो और जीने दो का
गुरुमंत्र सभी को सिखाना है
गुरुमंत्र सभी को सिखाना है
कोई कहता है महासमिति
संसद जैन समाज की है
हम कहते हम कुछ भी नहीं
हर जैन की बस आवाज ही है
हर जैन की बस आवाज ही है
सद्भाव, समन्वय और संगठन
शक्ति से हर कदम बढ़े
सुनसठ हजार से अधिक जैन
मतभेद भुला कटिबद्ध खड़े
मतभेद भुला कटिबद्ध खड़े
ये दिगम्बर जैन महासमिति
की अभिव्यक्ति है
यही हैं संदेश हमारे
यही लक्ष्य और दृष्टि है
जय बोलो जय बोलो
जय जय जय जय
जो महावीर की राह चले
उस सहधर्मी की जय,
बोलो जिनवाणी की जय
बोलो जिन आगम की जय,
बोलो जिन शासन की जय,
बोलो जैन धर्म की जय,
दिगम्बर जैन महासमिति
की जय जय जय जय ।।
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